दिल से दिल तक एक तरफ़ा सफ़र - 1 R. B. Chavda द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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दिल से दिल तक एक तरफ़ा सफ़र - 1

प्यार,

यह प्यार क्या है ? और कैसे होता है ? क्या कोई इतना पसंद आ सकता है जिसमे हम हमारी पूरी दुनिया देखते है ! मैंने सुना है एक फिल्म में की प्यार दोस्ती है मतलब वह हमारा दोस्त होना चाहिए लेकिन उनका क्या जिनको किसी इंसान को एक नजर देखते ही प्यार हो जाता है ? तो क्या वह प्यार नहीं होगा ? कोई कहता है हम जिनके साथ रहते है उनसे हमें कभी न कभी प्यार हो ही जाता है , इसलिए कभी कभी arrange marriage वालो को उनके साथी को न जानते हुए भी सिर्फ साथ में रहते ही प्यार हो जाता है। लेकिन क्या ऐसा हर बार होता है? और कभी कोई कहता है की इंतज़ार करना प्यार होता है ! कोई कहता है की उसकी ख़ुशी के लिए उसे जाने देना प्यार होता है ! लेकिन क्या हम उसको जाने दे सकते है अगर हम सच में उनसे प्यार करते है तो ? मुझे नहीं लगता की हमे उस इंसान को जाने देना चाहिए जिनसे हम प्यार करते है मतलब हमे पूरी कोशिश तो करनी चाहिए की वह जाने की हम उनसे प्यार करते है और हम उनके साथ अपना पूरा जीवन चाहते है। मैंने देखा था एक इंटरव्यू में जहा वह इंसान बोल रहा था की जिनको आप प्यार करते हो उनको कभी भी जाने मत दो। पूरी कोशिश करो लेकिन उसको जाने मत दो। लोग कहते है की जिससे प्यार करते है अगर वह आपको नहीं पसंद करता तो उसको जाने दो। लेकिन क्यों ? ऐसा क्यों होता है क्या यह उस उपरवाले की शाजिश नहीं हो सकती की उसने हमे उस इंसान से मिलवाया और उस इंसान के लिए हमारे दिल में जज़्बात भी लाये।

आईये में आपको एक प्रेम कहानी बताने जा रही हूँ , मेरी कहानी नहीं है लेकिन मेरी इमेजिन की हुयी कहानी है ! उससे पहले एक शायरी हो जाये !!!

"नहीं मिला है कोई तुझसा आजतक मुझको,
फिर यह सितम अलग है की मिला तू भी नहीं !!"

आज भी यद् है वो दिन मुझे, जब मैंने पहली बार उनको देखा था। मेरी उनसे मुलाकात कोई खास तो नहीं थी लेकिन मेरे लिए आज भी वह पल बहुत ही खास है। वह उनकी सरल चाल, भूरी आँखे, थोड़े ब्राउन बाल और अच्छे से फिक्स की हुयी उनकी सिंपल सी हेयर स्टाइल। पता है आज भी मुझे वह कलर भी याद है जिस कलर के उन्होंने कपडे पहने थ। उन्होंने पिस्ता कलर का शर्ट पहना था और ब्लैक पेण्ट पहनी थी, उनके हाथ में लाल और पिले कलर का धागा बंधा हुआ था। उन्होंने सिंपल सी चप्पलें पहनी थी और बहुत ही सादगी थी उनमे, सिंपल सी घडी पहनी थी ब्लैक कलर की। मुझे तो उनकी आवाज़ भी आज तक याद है और अभी भी मेरे कानो में गूंजती रहती है और हा एक बात तो रह ही गयी की वह एक डॉक्टर है मैंने उनको पहली बार देखा तब स्टेथोस्कोप भी था उनके गले में और उनके पास टिक टिक वाली पेन थी पिंक कलर की। मेरी उनसे पहली मुलाकात एक हॉस्पिटल में ही हुई थी। मुझे उनका नाम भी नहीं पता था, फिर अगले दिन सुबह उठते ही मुझे अचानक से उनकी ही याद आई। मतलब ऐसा हुआ की मुझे उनको देखना है उनका नाम जानना है। और फिर आए वह लेकिन आज भी उन्होंने वही कल वाले कपडे पहने थे और उनके आंको के निचे डार्क सर्कल्स थे । उनके साथ और एक डॉक्टर थे जिन्होंने उन्हें उनके नाम से पुकारा तब मुझे उनका नाम पता चला।  उनके स्वाभाव से वह बहुत ही सरल और मदद करने वाले लगे मुझे, वह जल्दी गुस्सा भी नहीं होते होंगे ऐसा लगा। में इन दिनों हॉस्पिटल में ही थी क्युकी अपने करीबी को वही एडमिट किया हुआ था। मुझे तब नहीं पता था की मेरे मन में उनके लिए कुछ भावनाएं है। बस उनको देख के अच्छा लग रहा था और लगता था काश में जैसे उनको इतना ध्यान से देख रही हु वह भी मुझे एक नज़र देखे।  वह दिन में दो से तीन बार राउंड लगाने आते थे हॉस्पिटल वार्ड में और में बस उनको देख के खुश हो जाया करती थी। पता है उनकी वजह से ही मैंने फिर से हसना सिख लिया था। क्युकी उस टाइम मैंने अपने करीबी, सबसे ज्यादा करीबी इंसान को खोया था , इसलिए में बिलकुल मुरझा गई थी लेकिन उन्ही की वजह से मैंने फिर से हंसना जाना। वह का एक इंसिडेंट बताती हूँ, मेरे करीबी के बेड के सामने ही एक पेशेंट का बेड था और उस पेशेंट को डायलिसिस करवाने ले गए थे उस टाइम नर्स ने डॉक्टर साहब से पूछा यह पेशेंट कहा है तो उन्होंने बोला की उस पेशेंट को डायलिसिस करवाने ले गए है। फिर नर्स ने कहा उनके रिश्तेदार कहा है तो डॉक्टर साहब बोले मेरी जेब में। मतलब मुझे पता था की उनको गुस्सा आया लेकिन उन्होंने हस कर गुस्से को टाल दिया।  फिर आता है तीसरा दिन, मतलब उस दिन कुछ खास नहीं हुआ था और वह दिन भी निकल गया। अब आते है चौथे दिन और यह दिन वह है जब मेरे रिश्तेदार को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज करना था। लेकिन उस सुबह हमारे डॉक्टर साहब अलग कपड़ो में आये जो की उन्होंने तीन दिनों से एक ही कपडे पहने थे, आज उन्होंने ने ब्लू [ नेवी ब्लू ] कलर का शर्ट जो चैक्स वाला था वह पहना था और ब्लैक पेंट। वह जब वार्ड में आये तो मैंने उनके सामने जाने की कोशिश करी लेकिन उनको कहा देखना था मेरी तरफ। फिर ऐसे ऐसे करते शाम हो गयी और मेरे रिश्तेदार को डिस्चार्ज कर दिया गया। लेकिन मुझे उनसे दूर जाना नहीं था मुझे तो ऐसा हो रहा था की काश में इसी हॉस्पिटल में कही जॉब पर लग जाऊ और डॉक्टर साहब के साथ काम कर सकू।  पर कुछ नहीं हो पाया और मैंने उनको तभी आखरी बार देखा। उसके बाद मैंने उनको गूगल किया और मुझे उनका इंटरव्यू विडिओ देखने मिला। पता है उस टाइम उस विडिओ में 100 के नजदीक व्यूअर थे लेकिन मैंने उस विडिओ को इतनी बार देखा है की अब तो उस विडिओ के 250 व्यूअर हो गए। फिर मैंने उनको सोशल मीडिया में भी ढूंढा और वह उनका अकाउंट भी मिला लेकिन उस टाइम मेरा सोशल मीडिया पे कोई अकाउंट नहीं था इस लिए मैंने अपने दोस्त के सोशल मीडिया अकाउंट से उनका अकाउंट देखा। मैंने जब उनको गूगल किया तब पता चला की वह एक साधारण से किसान परिवार से आते है और उन्होंने इस मुकाम पर पहोचने के लिए बहुत मेहनत की है। उसके बाद से तो मेरे मन में उनके लिए बहुत सारा प्यार और उससे भी ज्यादा आदर भाव आ गया था। में उनकी बहुत ही रिस्पेक्ट करती हु। 

फिर तो घर आकर मैंने बस उनको याद ही किया है।

आगे की कहानी मेरे नेक्स्ट पार्ट में होगी देखते है मैं उनसे मिल पाती हूँ की नहीं और हमारी अगली मुलाकात कैसी होगी। और क्या में उनसे मिलूंगी कभी ? और नहीं ? .......Continue in next part.